अभी
अभी मेल पर हमारे पुरातन कबाड़ी आशुतोष उपाध्याय ने एक शानदार पीस भेजा है. बावजूद
इस बात के कि अभी अभी बड़े ग़ुलाम अली ख़ान साहब का इंटरव्यू पोस्ट किया है, मैं इसे
यहाँ तुरंत जगह देने का मोह संवरण नहीं कर पा रहा –
रामकृष्ण परमहंस और
स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद
स्वामी
विवेकानंद : मैं
समय नहीं निकाल पाता. जीवन आप-धापी से भर गया है.
रामकृष्ण परमहंस : गतिविधियां
तुम्हें घेरे रखती हैं. लेकिन उत्पादकता आजाद करती है.
स्वामी
विवेकानंद : आज
जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है?
रामकृष्ण परमहंस : जीवन
का विश्लेषण करना बंद कर दो. यह इसे जटिल बना देता है. जीवन को सिर्फ जिओ.