अभी
अभी मेल पर हमारे पुरातन कबाड़ी आशुतोष उपाध्याय ने एक शानदार पीस भेजा है. बावजूद
इस बात के कि अभी अभी बड़े ग़ुलाम अली ख़ान साहब का इंटरव्यू पोस्ट किया है, मैं इसे
यहाँ तुरंत जगह देने का मोह संवरण नहीं कर पा रहा –
रामकृष्ण परमहंस और
स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद
स्वामी
विवेकानंद : मैं
समय नहीं निकाल पाता. जीवन आप-धापी से भर गया है.
रामकृष्ण परमहंस : गतिविधियां
तुम्हें घेरे रखती हैं. लेकिन उत्पादकता आजाद करती है.
स्वामी
विवेकानंद : आज
जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है?
स्वामी
विवेकानंद : फिर हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?
रामकृष्ण परमहंस : परेशान
होना तुम्हारी आदत बन गयी है. इसी वजह से तुम खुश नहीं रह पाते.
स्वामी
विवेकानंद : अच्छे
लोग हमेशा दुःख क्यों पाते हैं?
रामकृष्ण परमहंस : हीरा
रगड़े जाने पर ही चमकता है. सोने को शुद्ध होने के लिए आग में तपना पड़ता है. अच्छे
लोग दुःख नहीं पाते बल्कि परीक्षाओं से गुजरते हैं. इस अनुभव से उनका जीवन बेहतर
होता है, बेकार नहीं होता.
स्वामी
विवेकानंद : आपका
मतलब है कि ऐसा अनुभव उपयोगी होता है?
रामकृष्ण परमहंस : हां.
हर लिहाज से अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह है. पहले वह परीक्षा लेता है और फिर सीख
देता है.
स्वामी
विवेकानंद : समस्याओं से घिरे रहने के कारण, हम जान ही नहीं पाते
कि किधर जा रहे हैं...
रामकृष्ण परमहंस : अगर
तुम अपने बाहर झांकोगे तो जान नहीं पाओगे कि कहां जा रहे हो. अपने भीतर झांको.
आखें दृष्टि देती हैं. हृदय राह दिखाता है.
स्वामी
विवेकानंद : क्या
असफलता सही राह पर चलने से ज्यादा कष्टकारी है?
रामकृष्ण परमहंस : सफलता
वह पैमाना है जो दूसरे लोग तय करते हैं. संतुष्टि का पैमाना तुम खुद तय करते हो.
स्वामी
विवेकानंद : कठिन समय में कोई अपना उत्साह कैसे बनाए रख सकता है?
रामकृष्ण परमहंस :
हमेशा इस बात पर ध्यान दो कि तुम अब तक कितना चल पाए, बजाय इसके कि अभी और कितना चलना बाकी है. जो कुछ पाया है, हमेशा उसे गिनो; जो हासिल न हो सका उसे नहीं.
स्वामी
विवेकानंद : लोगों की कौन सी बात आपको हैरान करती है?
रामकृष्ण परमहंस : जब
भी वे कष्ट में होते हैं तो पूछते हैं, "मैं ही क्यों?" जब वे खुशियों में डूबे रहते
हैं तो कभी नहीं सोचते, "मैं ही क्यों?"
स्वामी
विवेकानंद : मैं अपने जीवन से सर्वोत्तम कैसे हासिल कर सकता हूँ?
रामकृष्ण परमहंस : बिना
किसी अफ़सोस के अपने अतीत का सामना करो. पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने वर्तमान को
संभालो. निडर होकर अपने भविष्य की तैयारी करो.
स्वामी
विवेकानंद : एक आखिरी सवाल. कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी
प्रार्थनाएं बेकार जा रही हैं.
From : http://kabaadkhaana.blogspot.in/2014/10/blog-post_33.html
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